रंगीन रोशनी का सपना
रेनू एक चौदह साल की साधारण सी लड़की थी, जो अपने बूढ़ी दादी के साथ एक छोटे से गाँव के किनारे रहती थी। उनकी ज़िंदगी बेहद कठिन थी। उनके पास ना तो पर्याप्त पैसा था और ना ही सुविधाएं। दादी सिलाई-बुनाई करके थोड़ी-बहुत कमाई करती थीं, जबकि रेणु जंगल में जाकर लकड़ी और जड़ी-बूटियाँ इकट्ठा करती थी, जिन्हें बाजार में बेचने से मुश्किल से पेट भरने लायक पैसे मिलते थे।
गाँव में क्रिसमस की तैयारियां ज़ोर-शोर से चल रही थीं। हर घर में रंग-बिरंगी रोशनियाँ और सजावटें लगाई जा रही थीं। रेनू हर शाम गाँव के मुख्य चौराहे पर जाती और वहाँ लोगों के घरों की खिड़कियों से झांकती हुई रोशनियों को देखती। रंग-बिरंगी लाइट्स की चमक उसकी आँखों में बस जाती। उसे भी खिड़कियों में ऐसी ही लाइट्स लगाने की इच्छा होती, लेकिन उनके पास इतना पैसा कहाँ था।
रेनू वापस अपने घर लौटती तो उदासी का घेरा उसके चारों ओर छा जाता। उनकी खिड़की पर न तो पर्दा था और न ही कोई सजावट।
एक रात उसने एक चित्र बनाने का फैसला किया, उसे पेंटिंग करना पसंद था और उसने बहुत समय पहले पेंट खरीदे थे जब उन्होंने अपने कुछ पालतू जानवर बेच दिए थे। उसकी बूढ़ी दादी उनकी देखभाल करने में असमर्थ थी। उसने उनके पुराने घर की एक सुंदर तस्वीर बनाई, फिर उसमें ऐसी रोशनियाँ पैंट की , जो उसने गाँव के लोगों के घरों में देखी थीं। जब वह चित्र पूरा हुआ, तो वह उसे देर तक देखती रही। उसे लगा, मानो वह चित्र ही उसका असली घर बन गया हो जो सुंदर रंगीन रोशनी से भरा हुआ था।। उस चित्र ने उसे एक नई उम्मीद और खुशी दी।
अगले दिन, रेनू भोजन के लिए जंगल में फल और जड़ी-बूटियाँ इकट्ठा कर रही थी। वह पेड़ों के झुरमुट में घुसकर जामुन के पेड़ के नीचे पहुंची, तभी उसे वहाँ एक लड़की दिखाई दी। लड़की का नाम जेनी था । जेनी बहुत खुशमिजाज और प्यारी थी। उसने रेनू से पूछा , “तुम यहाँ क्या कर रही हो?”
रेनू ने जवाब दिया, “हम गरीब हैं, इसलिए मैं जंगल से फल इकट्ठा करने आती हूँ। और तुम?”
जेनी ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं यहाँ घूमने आई हूँ। क्या मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ?”
दोनों ने मिलकर फल इकट्ठा किए। जब वे थक गए, तो बैठ कर बातें करने लगी , रेनू ने उसके साथ बहुत सहज महसूस किया l गाँव के बच्चे आमतौर पर उसे अनदेखा कर देते हैं क्योंकि वे गरीब थे और उसकी पोशाक हमेशा फटी और पुरानी होती थी।रेनू ने उसे बताया कि उसे पेंटिंग करना पसंद है, जब भी उसे समय मिलता है वह चित्र बनाती है, जेनी उसकी पेंटिंग देखने के लिए बहुत उत्सुक थी। उसने कल रेनू के घर आने का वादा किया और चली गई।
रेनू ने अपनी दादी को अपनी नई दोस्त जेनी के बारे में बताया। वह खुश थी कि रेनू को बात करने और खेलने के लिए कोई मिल गया।
अगले दिन जेनी रेनू के घर आई । उसने उसकी बनाई पेंटिंग देखी और आश्चर्यचकित हो गई।उसे वह पेंटिंग बहुत पसंद आई , जिसमें रेनू ने अपने पुराने घर की खिड़कियों में रंगीन लाइट्स बनाई थीं।
जेनी ने कहा, “तुम बहुत अच्छी पेंटर हो। क्या तुम मेरे लिए भी ऐसा ही एक चित्र बना सकती हो?”
रेनू ने वादा किया, “मैं आज रात इसे बनाऊँगी और कल तुम्हें दूँगी।”
उस रात रेनू ने जल्दी-जल्दी अपना सारा काम निपटाया और फिर पेंटिंग के लिए बैठ गई। उसने अपनी कल्पनाओं को जेनी के लिए पेंटिंग में उतार दिया। उसकी पेंटिंग और भी खूबसूरत बन गई। उसमें उसने न केवल घर को सजाया, बल्कि आस-पास के पेड़-पौधों और आसमान में टिमटिमाते तारे भी जोड़ दिए।
अगली सुबह, रेनू ने वह पेंटिंग जेनी को दी। जेन ने पेंटिंग को देखकर कहा, “यह बहुत खूबसूरत है। तुम्हारे हुनर की कोई कीमत नहीं है, लेकिन मैं तुम्हें एक छोटा सा तोहफा देना चाहती हूँ।”
जेनी ने रेनू को एक बड़ा सा बॉक्स दिया और मुस्कुराते हुए चली गई।
रेनू ने जल्दी से वह बॉक्स खोला। उसके अंदर रंग-बिरंगी क्रिसमस लाइट्स थीं। वही लाइट्स, जो वह हर रोज़ दूसरों के घरों में देखा करती थी और जिनकी वह कल्पना करती थी। उसकी आँखों में आँसू आ गए, लेकिन यह खुशी के आँसू थे।
उसने तुरंत खिड़की पर लाइट्स सजाई। जब रात हुई, तो उनका घर भी गाँव के बाकी घरों की तरह रोशन हो गया। वह उस रात सोना नहीं चाहती थी। वह और उसकी दादी दोनों देर तक उन लाइट्स को देखते रहे।
रेनू ने मन ही मन जेनी को धन्यवाद दिया। लेकिन उसे यह नहीं पता था कि जेनी कोई साधारण लड़की नहीं, बल्कि एक परी थी, जो उसकी कला और सच्चाई से प्रभावित होकर उसकी मदद करने आई थी।