संगीत शिक्षक श्रोनी
सुवि एक हंसमुख और जिज्ञासु स्वभाव की लड़की थी। वह अपने स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ संगीत में भी गहरी रुचि रखती थी। हर दिन, स्कूल की घंटियां बजने के बाद, जब सभी बच्चे अपने घर लौट जाते, सुवि अक्सर संगीत कक्ष में अकेले अभ्यास करती। वह अपने स्कूल के पुराने संगीत कक्ष को बहुत पसंद करती थी, जहां शांति और सुकून का माहौल रहता था ।
पिछले कुछ दिनों से, सुवि पियानो पर एक नई धुन सीखने की कोशिश कर रही थी। लेकिन उसकी उंगलियां बार-बार गलत जगह पड़ जातीं, और वह निराश हो जाती। उसने कई बार कोशिश की, लेकिन सही ताल और लय पकड़ नहीं पा रही थी। उस दिन भी वह घंटों तक अभ्यास करती रही, लेकिन उसकी धुन बार-बार बिगड़ जाती।
फिर अचानक, संगीत कक्ष में एक मधुर आवाज गूंजी, “तुम इसे गलत तरीके से बजा रही हो।”
सुवि ने चौंककर पीछे देखा। एक मध्यम आयु की महिला, हल्की सफेद साड़ी पहने, मुस्कुराते हुए उसे देख रही थी। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी।
“मैंने आपको पहले कभी यहां नहीं देखा,” सुवि ने झिझकते हुए पूछा।
“मैं यहां नए छात्रों को संगीत सिखाने आई हूँ। मेरा नाम श्रॉनी है,” महिला ने जवाब दिया।
सुवि ने उन्हें पियानो के पास बुलाया और अपनी समस्या बताई। श्रॉनी मैडम ने उसके हाथ को सही स्थिति में रखा और कहा, “अब इसे फिर से बजाओ।”
सुवि ने उनकी बात मानी और पियानो की कुंजियों पर उंगलियां रखी। इस बार धुन सही निकली। वह हैरान थी कि कैसे श्रॉनी मैडम ने उसे इतनी आसानी से समझा दिया।
उस दिन श्रॉनी मैडम ने उसे कई नई धुनें सिखाईं। वह बड़े धैर्य और प्यार से सिखाती थीं। सुवि को उनका साथ बहुत अच्छा लगा। उन्होंने वादा किया कि वह अगले दिन भी आएंगी।
इसके बाद, श्रॉनी मैडम हर शाम को सुवि को सिखाने लगीं। सुवि की उंगलियां अब पहले से ज्यादा लचीली और तेज़ हो गई थीं। श्रॉनी मैडम ने उसे सिर्फ पियानो ही नहीं, बल्कि संगीत को महसूस करने का तरीका भी सिखाया।
“संगीत सिर्फ सुनने के लिए नहीं होता, सुवि,” श्रॉनी मैडम ने एक दिन कहा। “इसे महसूस करो, अपनी भावनाओं को इसमें डालो। तभी यह जादू की तरह काम करेगा।”
सुवि हर दिन नए-नए पियानो रिदम्स सीखती। उसका आत्मविश्वास बढ़ने लगा।
एक शाम जब सुवी और श्रोनी अभ्यास के बाद बात कर रहे थे। श्रोनी ने कहा, “सुवि,मैं आपसे कुछ पूछना चाहती हूं l”
“हां, मैडम कृपया पूछें।”
“क्या आपको भूत की कहानियां या फिल्में पसंद हैं ?”
“नहीं मैडम, मुझे डर लगता है।” वह मुस्कुराई।
“तुम भूत से क्यों डरती हैं?”
“मैडम, मुझे लगता है कि वे खतरनाक और डरावने होते हैं।”
श्रोनी हंसी , “ऐसा नहीं है, मैं आपको विशेष संगीत सिखाना चाहती हूं जो भूत को पसंद होता है l”
“मैडम, क्या भूत के लिए भी कोई संगीत होता है।”
“हाँ, लेकिन अगर आप भूतों से डरते हैं तो यह आपके लिए नहीं है।”
“मैडम , अगर यह केवल संगीत है, तो ठीक है। मैं कोशिश कर सकती हूँ।”
“नहीं, नहीं प्रिय। कभी-कभी जब संगीत बजाते हैं। भूत कमरे मे उपस्थित हो सकते है, लेकिन वे आपको नुकसान नहीं पहुँचाएँगे, वे बस आनंद लेंगे और आपको धन्यवाद देंगे।”
“ओह!! सच मैडम। मैं हमेशा सोचती थी कि वे हमेशा खतरनाक होते हैं, लेकिन कुछ दोस्त भी होते हैं।”
“हां, तुम सही हैं, असल में भूत खतरनाक नहीं होते। डर हमारे अंदर होता है। कोई भी व्यक्ति भूत नहीं बनाता, वे अलग-अलग कारणों से खुद ही बन जाते हैं, फिर कैसे वे लोगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।”
“हां मैडम। मैने भी सुना है , कोई मरने के बाद भूत बन जाता है, यह किसी की गलती तो नहीं है।”
“तो अब आप क्या सोचते हैं।”
“मैडम मुझे लगता है कि मैं सीख सकती हूं, मुझे विश्वास है, वे मुझे नुकसान नहीं पहुंचाएंगे, अगर वे कभी दिखाई दिए।” वह मुस्कुराई।
अगली शाम जब सुवी श्रोनी से मिली तो सुवी कुछ असाधारण सीखने के लिए उत्सुक थी। उसे लगभग यकीन था कि संगीत के साथ कोई भूत नहीं आएगा, यह सिर्फ चेतावनी थी।
इससे पहले कि श्रोनी ने संगीत सिखाना शुरू किया, उसने कहा, “सुवि, याद रखें जब आपने यह संगीत बजाना शुरू किया , तो आपको ठंड लग सकती है , खिड़की के पर्दे बिना हवा के उड़ने लग सकते है । या भूत दिखाई दे सकता है ,आपको लय पूरी करनी होगी। किसी भी चीज़ से डरने की ज़रूरत नहीं है।”
फिर उसने शुरुआत की। जैसे सुवि की उंगलियां पियानो की चाबियों पर घूम रही थीं। उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, संगीत की लय उसके द्वारा सीखे गए अन्य संगीत से बिल्कुल अलग थी, लेकिन वहां उसे कोई भूत दिखाई नहीं दिया।
धीरे-धीरे लय मधुर हो जाती , फिर अचानक बहुत तेज और ऊंची हो जाती । यह सब अगली शाम भी जारी रहा।
अंत में श्रोनी ने कहा, “सुवि आपने अब सारी लय सीख ली है। आप शुरू से अंत तक बजा सकते हैं, मैं सुनना चाहती हूं।”
सुवि ने बजाना शुरू कर दिया, श्रोनी उसके पास खड़ी हो गई, जैसे जैसे संगीत जारी रहा, कमरा ठंडा होने लगा, खिड़कियों के पर्दे थोड़े उड़ने लगे। श्रोनी का शरीर चमकने लगा। संगीत जारी रहा। सुवि ने देखा कि श्रोनी का शरीर रोशनी में बदल गया और पियानो के चारों ओर उड़ने लगा। उसे याद था , श्रोनी ने क्या कहा था ,”अंत तक मत रुकना और बजाते रहना l”
सुवि ने बिना किसी डर के जारी रखा। जैसे ही संगीत समाप्त हुआ, श्रोनी ने उड़ना बंद कर दिया और फिर से खड़ी हो गई। उसका शरीर एक सुंदर परी में बदल गया। उसने मुस्कुराते हुए कहा, “सुवि धन्यवाद, आपकी मदद से मैं भूत से परी बन सकी।”
सुनकर सुवि दंग रह गई। “मैडम आप भूत थीं।” उसकी आंखें फैल गईं l
“हां सुवि ,मैं अपना परिचय देवदूत के रूप में देना चाहती थी । अब मैं हमेशा के लिए परी हूं, मैं मरने से पहले संगीत शिक्षक थी, मुझे संगीत सिखाना पसंद है, आप मेरी पसंदीदा शिक्षक हैं। लकिन मुझे अब जाना होगा, प्रिय l अभ्यास करते रहना,मैं तुमसे मिलने फिर आऊंगी। यह कहते हुए,श्रोनी गायब हो गई।”
सुवी निःशब्द होकर उसे देखती रही।