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दुल्हन की लाल पोशाक

अमृतपुर कस्बे के छोटे से गांव गिल्लो में अनु नाम की एक युवती अपनी शादी की बेसब्री से तैयारी कर रही थी। उसने हमेशा नृत्य, आनंद और संगीत से भरे एक भव्य उत्सव का सपना देखा था। अपनी तैयारियों के बीच, उसे सुन्दर  शादी की पोशाक की ज़रूरत थी। उसने शहर के एक पुराने, प्रतिष्ठित बुटीक से एक सुंदर लाल पोशाक किराए पर लेने का फैसला किया।

पोशाक अति सुंदर थी, जिसमें सुंदर कढ़ाई और चमकदार मोती थे। अनु को पहली नजर में ही इससे प्यार हो गया l

जब अनु ने इसे आज़माया, तो यह उस पर बिल्कुल फिट थी,जैसे कि यह सिर्फ उसके लिए ही बनाई  गई हो।  

“ मैं इसी प्रकार की ही पोशाक चाहती  थी !” अनु ने खिलखिलाते हुए मुस्कुराते हुए कहा।  

“आप एक राजकुमारी की तरह दिखती हैं!” विक्रेता ने भी मुस्कुराते हुए कहा l 

उसके सभी दोस्तों को उसकी ड्रेस पसंद आई, वह इसे अपने खास दिन पर पहनने के लिए उत्सुकता से इंतजार  करने लगी । वह नहीं जानती थी कि इस पोशाक में एक गहरा रहस्य छुपा हुआ है।

कई साल पहले, रेखा नाम की एक युवा दुल्हन ने अपनी शादी के दिन यही पोशाक पहनी थी। लकिन  समारोह के दौरान रहस्यमय परिस्थितियों में रेखा की मृत्यु हो गई थी और तब से उस की आत्मा इस पोशाक से जुड़ी हुई थी । बुटीक मालिक रेखा की मौत और उसकी कहानी जानती थी लेकिन उसने कभी इसे किसी के साथ साझा नहीं किया। उसे विश्वास नहीं था कि उसकी आत्मा अभी भी उस पोशाक से जुड़ी हुई है।

आख़िरकार, बड़ा दिन आ गया। अनु सुबह जल्दी तैयार हो गयी, उसने लाल पोशाक पहनी और दर्पण में खुद को निहारा। वह सुंदर लग रही थी, लेकिन प्रतिबिंब में कुछ अजीब था। एक पल के लिए उसे लगा कि उसने किसी परछाई को अपने पीछे चलते देखा । वह पीछे मुड़ी, लेकिन वहां कोई नहीं था।  

“यह मेरी कल्पना होगी,” अनु ने सिर हिलाते हुए सोचा।  

शादी समारोह शुरू हुआ और सभी ने अनु की सुंदरता की प्रशंसा की। हॉल मेहमानों से  भरा हुआ था, लेकिन जैसे-जैसे अनुष्ठान जारी रहा, अजीब चीजें होने लगीं।  

हॉल में रोशनियाँ जलने  और बुझने लगी । सजावट पर लगे फूल धीरे धीरे मुरझाने लगे l मेहमान असहज महसूस करते हुए आपस में कानाफूसी करने लगे।

जैसे ही पुजारी ने मंत्रों का जाप शुरू किया, हॉल का तापमान अचानक गिर गया। लोग कांपने लगे और हाल  में ठंडी हवा चलने लगी। मेज़ों पर लगी मोमबत्तियाँ एक-एक करके बुझने लगी ।  

मेहमान  डरते हुए बाते करने लगे , “यहाँ क्या हो रहा है? सब कुछ ठीक नहीं लग रहा है।”  

हर गुजरते पल के साथ माहौल भयावह होता गया। फिर, अचानक, हॉल ज़ोरदार, गूँजती हँसी से भर गया। उस डरावनी आवाज़ सुनकर  हर कोई ठिठक गया l  

“वहाँ कौन है?” सनी, अनु के दूल्हे ने पूछा, उसकी आवाज़ कांप रही थी। 

 हाल मे आवाज गूंजती रही, हर कोई कांप रहा था l

फिर अचानक, मोमबत्तियाँ अपने आप जल उठीं, लेकिन अभ लपटें नीली थीं। भयानक रोशनी में एक आकृति सबके सामने प्रकट हुई । वह लाल शादी की पोशाक पहने एक महिला थी, उसका चेहरा पीला था और उसकी आँखें अंगारे की तरह चमक रही थीं। 

 “आप कौन हैं?” सनी ने कांपती आवाज में पूछा।

“मैं रेखा हूं,” भूत ने कहा, उसकी आवाज हॉल में गूंज उठी।

अनु ने देखा कि उसने जो पोशाक पहनी हुई थी वह बिल्कुल वैसी ही लग रही थी जैसी भूत ने पहनी थी।  

“तुम यहां क्यों आई हो?” सनी ने धीरे से पूछा, उसके पैर डर से कांप रहे थे।  

रेखा की नजर सनी पर पड़ी, “मैंने यह पोशाक अपनी शादी के दिन पहनी थी, लेकिन मैं कभी शादी नहीं कर सकी । मैं उस दिन मर गई,तब से मेरी  आत्मा इस पोशाक से जुड़ी हुई है ,अनु से शादी करने से पहले तुम्हें मुझसे शादी करनी होगी। तभी मैं आज़ाद हो पाऊंगी ।”  

मेहमान बाहर भागने लगे, लेकिन दरवाज़ा  बंद था, कोई बाहर नहीं जा सकता था,

अनु ने घबराकर सनी की ओर देखा

“उसकी बात मत सुनो! यह पागलपन है!”  

सनी ने पीछे हटते हुए अपना सिर हिलाया। “मैं भूत से शादी नहीं करूंगा !” वह चिल्लाया।

रेखा का चेहरा गुस्से से भर गया, “तुम्हारे पास कोई विकल्प नहीं है, सनी। अगर तुमने मना किया तो मैं तुम्हें हमेशा परेशान करूंगी ।”

सनी  इसे और  बर्दाश्त नहीं कर सका। वह मुड़ा और अपनी पूरी ताकत से दरवाजे को धक्का देकर हॉल से बाहर भाग गया। रेखा ने एक कान फाड़ देने वाली चीख निकाली और हवा में गायब हो गई।

हॉल में मौजूद सभी लोग सदमे में थे l अनु  कांपते हुए अपनी माँ से चिपकी हुई थी। ” मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है?”  

उसकी सहेली ने फुसफुसाकर कहा, “शायद यह पोशाक के कारण हो रहा है , इसमें कुछ गड़बड़ है।”  

अनु ने भयभीत होकर लाल पोशाक की ओर देखा। वह इसे फाड़ना चाहती थी, लेकिन ऐसा लगा जैसे यह उसके शरीर से चिपक गई  हो। पोशाक शरीर से उतर ही नहीं रही थी ।  

इस बीच, सनी बचने के लिए बेताब होकर सड़कों पर भागा रहा था और बार-बार पीछे की ओर देख रहा था , जब उसे रेखा कहीं दिखाई नहीं दी तो  वह  सांस लेने के लिए रुका।

लेकिन तभी, एक ठंडा, भारी हाथ उसके कंधे को छू गया।  

वह चिल्लाया और देखा। रेखा पीछे खड़ी थी, उसकी आँखें गुस्से से जल रही थीं। “तुम मुझसे भाग नहीं सकते, सनी,” उसने कहा। “मुझसे शादी करो, नहीं तो मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूंगी ।”  

“मैं नहीं कर सकता! कृपया मुझे अकेला छोड़ दो!, मैंने तुम्हारे साथ कुछ भी गलत नहीं किया, तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो,” सनी ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।  

रेखा  हँसी, उसकी आवाज़  खाली सड़कों पर गूँज उठी। “तुम्हें इसका पछतावा होगा,” उसने कहा और  एक बार फिर गायब हो गई।

वह बहुत भ्रमित था, वह जानता था कि उसके लिए कोई भी जगह सुरक्षित नहीं थी , उसने अनु को घर वापस लौटने का फैसला किया।

फिर उन्होंने दुकान पर वापस जाने और मालिक से ड्रेस के बारे में बात करने का फैसला किया।  

जब वे पहुंचे तो दुकान मालिक उन्हें देखकर चौंक गया। “क्या हुआ?” उसने पूछा.  

“वह पोशाक! यह प्रेतवाधित है!” अनु चिल्लाई, 

दुकान के मालिक ने आह भरी और सिर हिलाया। “मुझे डर था कि ऐसा हो सकता है,” उसने कहा।  

उन्होंने बताया कि एक लड़की, रेखा ने कई साल पहले ड्रेस किराए पर ली थी। अपनी शादी के दिन इसी ड्रेस में उनकी मौत हो गई। तब से, उसकी आत्मा इससे बंधी हुई थी।  

“तुमने मुझे क्यों नहीं बताया?” अनु ने गुस्से से पूछा, 

मालिक ने उत्तर दिया, “मुझे लगा कि यह सिर्फ एक कहानी थी।” “पहले जिसने भी ड्रेस किराए पर ली थी उसे कोई समस्या नहीं हुई। मैंने नहीं सोचा था कि ऐसा दोबारा होगा।”

वे घर वापस आये, कोई नहीं जानता कि आगे क्या करना है।

अचानक रेखा फिर प्रकट हुई, हॉल ठंडी हवा से भर गया।  

“आपने क्या सोचा,” रेखा ने कहा, उसकी आवाज़ डरावनी थी।

अनु आगे बढ़ी, उसको  डर की जगह गुस्सा आया । “आप हमारे साथ  ऐसा क्यों कर रहे हो? कृपया हमें छोड़ दें!”  

रेखा एक पल के लिए नरम पड़ गई, “मैं मजबूर हूं, मुझे आपकी मदद चाहिए, मैं आपके जैसे किसी अच्छे व्यक्ति को चोट नहीं पहुंचाना चाहती,”

अनु को रेखा के दर्द का एहसास हुआ, “ठीक है, अगर हम तुम्हारी आत्मा को मुक्त करने के लिए एक विवाह अनुष्ठान करें तो क्या होगा?” क्या आप हमें अकेला छोड़ देंगे?”  

रेखा झिझकी, फिर धीरे से सिर हिलाया।

फिर शुरू हुई सनी और रेखा की शादी की रस्में l

जैसे-जैसे अनुष्ठान आगे बढ़ता गया, रेखा का रूप निखरता गया, उसकी आँखें कृतज्ञता से भर गईं। “धन्यवाद,” वह फुसफुसाई। “आपने मुझे शांति पाने का मौका दिया ।”

उन शब्दों के साथ, रेखा की आत्मा रात में घुलने लगी, उसका दुःख संतोष की भावना से बदल गया। हवा गर्म हो गई और अजीब घटनाएँ बंद हो गईं।

रेखा गायब हो गई। हर कोई बहुत शांत था। 

धीरे-धीरे शादी के मंडप में खुशियाँ वापस आने लगीं।

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