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वह राधा थी

एक बार की बात है, पहाड़ियों और नदियों से घिरे एक शांत गाँव में, चार्न नाम का एक दयालु और सज्जन बूढ़ा व्यक्ति रहता था। चार्न लगभग अस्सी वर्ष का था और गाँव के किनारे एक छोटे घर  में अकेला रहता था। उसकी पत्नी का कई साल पहले निधन हो गया था, और उनके कभी बच्चे नहीं थे। चार्न को प्रकृति से प्यार था और वह अपने घर  के आसपास पक्षियों, पेड़ों और फूलों को देखना पसंद करता था। लेकिन वह अक्सर अकेलापन महसूस करता  था l  बूढ़े शरीर के कारण उसके लिए खुद की देखभाल करना भी  मुश्किल होता  जा रहा था।

एक सर्दियों की रात, जब चार्न खिड़की के पास बैठकर तारों को देख रहा था, उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और फुसफुसाया, “काश कोई मेरी मदद कर पाता। मैं थक गया हूँ और हर दिन कमजोर होता जा रहा हूँ।” 

अगले दिन वह जंगल में अपने घर के पास टहल रहा था, वह जमीन पर गिर गया। जंगल बहुत शांत था। वह उठने की कोशिश कर रहा था। तभी एक महिला आई और उसे खड़े होने में मदद की। चार्न ने उसकी ओर देखा और उसे धन्यवाद दिया। वह मुस्कुराई।

“आप कौन हैं?” चार्न ने आश्चर्य से पूछा।

“मैं राधा हूं,” उसने धीरे से उत्तर दिया। “मैं तुम्हें घर चलने में मदद कर सकती  हूँ।”

चार्न की आँखें कृतज्ञता से भर गईं, और उसने कहा, “मैं नहीं जानता कि तुम्हें कैसे धन्यवाद दूँ, राधा। मेरे लिए जीवन बहुत कठिन हो गया है। मैं अकेला रह रहा हूँ।”

राधा मुस्कुराई और सिर हिलाया। “तुम्हें मुझे धन्यवाद देने की ज़रूरत नहीं है। तुम्हें जब भी ज़रूरत होगी मैं तुम्हारी मदद कर सकती  हूँ, तुम मेरे पिता जैसे हो।”

चार्न उस महिला को नहीं जानता था लेकिन उसके पास कोई विकल्प भी नहीं था, उसे उस लड़की के साथ अजीब सा आराम महसूस हुआ। वे घर चले गए। उस दिन के बाद से, राधा हर सुबह चार्न के पास जाती थी, उसके दैनिक कार्यों में मदद करती  ,धीरे धीरे  वह उसके लिए नाश्ता  भी तैयार करने लगी । 

एक दिन, जब वे बरामदे पर एक साथ बैठे थे, राधा ने कहा, “चार्न, क्या तुम मेरे साथ जंगल मे घूमना चाहोगे ?”

चार्न झिझक रहा था। उसके पैरों में दर्द था और वह अपनी झोपड़ी छोड़ना नहीं चाहता था, लेकिन जैसे ही राधा ने उसका हाथ छुआ, उसका दर्द एक मिनट में दूर हो गया। वह उसका हाथ पकड़कर उसे पास के जंगल के रास्ते पर ले गई। चलते समय पक्षी गा रहे  थे, और हवा में पत्तियाँ धीरे-धीरे हिल रही  थीं। चार्न को फिर से जीवित महसूस हुआ, मानो वह युवा हो। राधा उसकी गति के अनुरूप धीरे-धीरे चल रही  थी, और जब भी वह थका हुआ महसूस करता था, तो वह उसे किसी चट्टान या पेड़ के तने पर आराम करने मे मदद करती ।

समय के साथ, राधा चार्न की अधिक जरूरतों का ध्यान रखने लगी। वह उसके घर का  फर्श साफ करने लगी, बर्तन साफ़ करने लगी और यहाँ तक कि उसके कपड़े भी धोने लगी। वह धैर्यवान थी और कभी भी जल्दबाजी नहीं करती थी, काम करते समय हमेशा मुस्कुराती थी और मधुर धुनें गुनगुनाती थी। कभी-कभी, चार्न को आश्चर्य होता था कि क्या वह सच थी या सिर्फ एक खूबसूरत सपना ।

एक दिन, उसने उससे पूछा, “राधा, तुम मेरी मदद क्यों करती हो? तुम और भी बहुत कुछ कर सकती हो, तुम्हारा अपना घर परिवार होगा ।”

राधा ने गर्मजोशी भरी मुस्कान के साथ उसकी ओर देखा और जवाब दिया, “तुम्हारी मदद करने से मुझे खुशी मिलती है, चार्न। तुम्हारी खुशी ही मेरा उद्देश्य है, मुझे यहां इसलिए भेजा गया है ।”

यह सुनकर चार्न की आंखों में आंसू आ गए। वह इतने सालों तक अकेलापन महसूस करता था, लेकिन अब, राधा के साथ होने से, उसे अब खालीपन महसूस नहीं होता था । वह और अधिक हंसने लगा था और उसके स्वास्थ्य में भी सुधार होने लगा। वह एक देवदूत की तरह थी।

जैसे-जैसे मौसम बदला, राधा गाँव में एक परिचित दृश्य बन गईं। ग्रामीणों ने भी देखा कि चार्न कितना खुश और स्वस्थ लग रहा था। उन्हें आश्चर्य हुआ कि वह युवती कौन थी जो उसके साथ हमेशा होती थी, उसकी  इतनी देखभाल और  मदद करती थी। चार्न केवल मुस्कुराता  और कहता , “वह मेरी परी है, मेरी बेटी है ,मेरी दोस्त है।”

एक शरद ऋतु की शाम, चार्न आग के पास बैठा था, उसकी आँखें भारी हो रही थीं। उसे एक अजीब सी शांति का एहसास हो रहा था  जो उसने पहले कभी महसूस नहीं किया था। राधा उसके पास बैठी मुस्करा रही थी। उसने चार्न का हाथ पकड़ लिया, ऐसा लग रहा था  जैसे वह जानती थी कि आगे क्या होने वाला है।

जैसे ही चार्न ने अपनी आँखें बंद कीं, उसने महसूस किया कि उसकी आत्मा हल्की हो गई है। वह गहरी, शांतिपूर्ण नींद में सो गया। जब वह जागा, तो वह अपने पुराने, कमजोर शरीर में नहीं था। इसके बजाय, वह युवा , मजबूत, और ऊर्जा से भरा हुआ महसूस कर रहा  था।

उसे आश्चर्य हुआ, राधा अभी भी उसके पास खड़ी थी,  वे रंग बिरंगे  फूलों से भरे एक सुंदर बगीचे में खड़े थे। पक्षी गा रहे थे, हवा ताज़ी और मधुर थी।

“हम कहाँ हैं, राधा?” उसने विस्मय से पूछा l 

राधा ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह तुम्हारा नया घर है, चार्न। अब तुम्हें दर्द या अकेलापन महसूस नहीं होगा। यहां तुम्हें हमेशा के लिए शांति और खुशी मिलेगी।”

गांव में जब चार्न और राधा को किसी ने नहीं देखा तो वे चार्न के घर चले गए। ग्रामीणों ने चार्न को उसके घर में बिस्तर पर पाया। बह चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ शांति से लेटा हुआ था । उन्होंने उसका अंतिम संस्कार किया।

किसी को नहीं पता था कि राधा कहां चली गई। वे राधा और चार्न की  कहानी को कभी नहीं समझ पाए, लेकिन उन्हें चार्न के घर के आसपास हमेशा शांति का एहसास होता था , जैसे कि वे अभी भी वहीं थे,और उन्हें देख रहे थे।

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