नीली किताब की कहानी-
मोना को अपने घर के पास की पुरानी लाइब्रेरी में समय बिताना बहुत पसंद था। यह शांत था, और पुरानी किताबों और पॉलिश की हुई लकड़ी की अलमारियों की गंध से भरा हुआ था। इमारत बहुत पुरानी और स्टाइलिश थी, छात्रों को वहाँ बैठना पसंद है।
एक बरसात की दोपहर, मोना स्कूल के बाद लाइब्रेरी गई। वह पढ़ने के लिए कुछ खास तलाश रही थी जिससे वह खराब मौसम को भूल जाए। जैसे ही उसने अलमारियों में झाँका, उसकी उँगलियाँ एक धूल भरी, पुरानी किताब पर पड़ीं। कवर गहरे नीले रंग का था, जिस पर सुनहरे अक्षर धुंधले पड़ने लगे थे। इसका कोई शीर्षक नहीं था, यह कुछ अजीब था। जिसने इसे और रहस्यमय ,आकर्षक बना दिया था ।
“कोई शीर्षक नहीं, यह किताब किस बारे में हो सकती है,” मोना ने ध्यान से पन्ने पलटते हुए सोचा। उसने इसे पढ़ने का फैसला किया।
जब वह किताब काउंटर पर लाई तो लाइब्रेरियन श्रीमती पार्कर ने उसे अजीब नज़रों से देखा। “आप यह पुस्तक उधार ले रहे हैं?” श्रीमती पार्कर ने भौंहें चढ़ाते हुए पूछा।
“हाँ, क्यों?” मोना ने थोड़ा हैरान होते हुए जवाब दिया l
“ओह, कुछ नहीं,” श्रीमती पार्कर ने किताब पर मोहर लगाते हुए फुसफुसाया। “बस इसका अच्छे से ख्याल रखना, यह एक विशेष किताब है।”
मोना ने किताब अपने बैग पैक में रखी और घर आ गई।
उस रात, जब उसने लाइट बंद कर दी और बिस्तर पर लेट गई। उसे हवा में अचानक ठंडक महसूस हुई। खिड़कियाँ कसकर बंद थीं, लेकिन ऐसा लग रहा था मानो किसी ने ठंड को अंदर आने के लिए दरवाज़ा खोल दिया हो। उसने अपना कंबल अपनी ठुड्डी तक खींच लिया और अपनी आँखें बंद कर लीं, फिर अपने शांत कमरे में उसे एक धीमी सी फुसफुसाहट सुनाई दी।
“मेरी किताब कहाँ है?”
मोना की आँखें खुल गईं, उसका दिल जोरों से धड़कने लगा। उसने चारों ओर देखा, लेकिन कमरे में कोई नहीं था। वह मुस्कुराई। “मैंने बहुत अधिक किताबें पढ़ना शुरू कर दिया है ।”
उसने फिर से अपनी आँखें बंद कर लीं, लेकिन इस बार फुसफुसाहट अधिक स्पष्ट आई। “मेरी किताब कहाँ है?” आवाज़ उदास और खोई हुई लग रही थी।
मोना उठकर बैठ गई और कमरे का निरीक्षण किया और तभी उसकी नजर उस पर पड़ी।
उसके बिस्तर के पास एक फीकी, चमकती हुई आकृति तैर रही थी। यह उसकी उम्र के आसपास की एक लड़की थी, जिसके लंबे, काले बाल और एक सौम्य मुस्कान थी। उसने पुराने ज़माने की पोशाक पहनी थी, जैसे बहुत समय पहले की कोई चीज़ हो।
मोना उसे देख कर कांपने लगी, वह फुसफुसाई, “कौन… तुम कौन हो?”
भूतिया लड़की ने उदास नजरों से उसकी ओर देखा। “मेरा नाम रीया है,” उसने धीमी आवाज में कहा। “मैं काफी समय से अपनी किताब ढूंढ रही थी।”
“आपकी किताब?” मोना ने पुस्तकालय से उधार ली गई नीली किताब पर नज़र डालते हुए कहा। “यह…आपकी किताब है?”
रीया ने धीरे से सिर हिलाया। “मैं इसे हर रात पढ़ती थी, लेकिन मैं इसे कभी पूरा नहीं कर सकी । अब मैं तब तक आराम नहीं कर सकती जब तक कि मैं इसे ढूंढ न लूं और आखिरी बार इसे पूरा न पढ़ लूं।”
मोना का डर थोड़ा कम हो गया जब उसने देखा कि रीया कितनी उदास लग रही थी। “मैं… मुझे नहीं पता था,” वह हकलाती हुई बोली। “मैंने बस सोचा कि यह एक साधारण किताब है।”
रीया करीब आ गई, उसका भूतिया रूप झिलमिला रहा था। “कृपया क्या आप मेरी मदद कर सकती हैं?”
मोना ने एक पल सोचा, “ठीक है, मैं आपकी मदद करूंगी,” उसने किताब उठाते हुए कहा। “आप इसे आज रात पढ़ सकते हैं, और फिर शायद आप आराम कर पाएंगे।”
रीया का चेहरा खुशी से चमक उठा. “धन्यवाद, मोना।”
मोना ने उसे किताब सौंपी और रीया उसके पास बैठ गई, भले ही उसका शरीर बिस्तर को नहीं छू रहा था। उसने किताब खोली, वह पढ़ने लगी, मोना अपने बिस्तर पर लेटी हुई उसे देख रही थी।
उसे पता ही नहीं चला कि वह कब सो गयी।
अगली सुबह जब मोना उठी तो रीया जा चुकी थी। किताब उसके बिस्तर के पास की मेज़ पर वैसे ही खुली पड़ी थी जैसे उसने छोड़ी थी।
बाद में मोना स्कूल गई, लेकिन वह जहां भी जाती, उसे ऐसा लगता जैसे कोई उसे देख रहा हो। फिर उसने अपनी आँखों के कोनों में रीया की झलक देखी, जो उसके पीछे तैर रही थी।
दोपहर के भोजन के दौरान, मोना ने खुद से फुसफुसाया, “रीया, क्या तुम यहाँ हो?”
“मैं यहाँ हूँ, मोना। कल रात मुझे किताब पढ़ने का मौका देने के लिए धन्यवाद। लेकिन मुझे इसे और अधिक पढ़ने की जरूरत है।”
मोना उछल पड़ी और उसने लगभग अपना सैंडविच गिरा ही दिया था। “रिया! तुम मेरा पीछा कर रहे हो?”
“मुझे… मुझे किताब ख़त्म करनी है, मोना। जब तक मैं इसे पूरा नहीं पढ़ लेता, मुझे आराम नहीं मिल सकता।”
मोना ने आह भरी, उसे एहसास हुआ कि भूत लड़की उसे अकेला नहीं छोड़ने वाली थी। “ठीक है, ठीक है। आप इसे आज रात पढ़ना जारी रख सकते हैं,” उसने कहा।
हर रात, ऐसा ही होता था। रीया प्रकट होती, कुछ देर पढ़ती और फिर सुबह होने से पहले गायब हो जाती। मोना को एक भूतिया रूममेट के साथ रहने की आदत पड़ने लगी थी, भले ही यह थोड़ा अजीब था।
लेकिन एक शाम, मोना को एक सवाल पूछने का साहस हुआ। “रीया, तुमने किताब को पहले अधूरा क्यों छोड़ दिया था ?”
“मोना ,मैंने लाइब्रेरी में पढ़ने में बहुत समय बिताया। वह किताब मेरी पसंदीदा थी, लेकिन…मैं इसे कभी ख़त्म नहीं कर पाई , मैं बीमार हो गई और एक अप्राकृतिक मौत मर गई ।अब, मैं उसका अंत जाने बिना आगे नहीं बढ़ सकती ।”
मोना को रीया के लिए बहुत दुख हुआ, वह कल्पना भी नहीं कर सकती थी कि कोई भूतिया अवस्था में फंसा सकता होगा, या शांति पाने में असमर्थ होगा।
जैसे-जैसे दिन बीतते गए, मोना को किताब के बारे में कुछ अजीब सा एहसास होने लगा । हर बार जब रीया कुछ पन्ने पढ़ती, तो पन्नों पर शब्द बदल जाते। कहानी कभी ख़त्म नहीं होती, चाहे वे कितना भी पढ़ लें। मोना को संदेह होने लगा था शायद किताब किसी तरह रीया की आत्मा से जुड़ी हुई थी, जिस कारण वह जीवित दुनिया से बंध गई थी।
एक रात, रीया ने चिंता भरी आँखों से मोना की ओर देखा। “मोना मुझे लगता है कि किताब नहीं चाहती कि मैं इसे ख़त्म करूँ। यह चाहती है कि मैं यहीं रहूँ…हमेशा।”
मोना को दुख हुआ, किताब रीया को जाने नहीं देना चाहती थी। लेकिन मोना अपने नए दोस्त को शांति पाने में मदद करने के लिए कृतसंकल्प थी। “इस जादू को तोड़ने का कोई तरीका तो होगा ,” उसने कहा।
“मुझे नहीं पता, इस तरह, यह किताब कभी ख़त्म नहीं होगी, मोना”
फिर उन्होंने अगले दिन पुस्तकालय वापस जाने का फैसला किया।
जब मोना रीया के साथ लाइब्रेरी पहुंची तो वह सीधे श्रीमती पार्कर के पास गई। “श्रीमती। पार्कर, क्या आप इस पुस्तक के बारे में कुछ जानते हैं?” मोना ने उत्सुकता से पूछा l
जब श्रीमती पार्कर ने रीया को मोना के पास खड़ा देखा तो उसकी आँखें चौड़ी हो गईं। “ओह… तो यह सच है,” वह फुसफुसाई। “रिया, तुमने लाइब्रेरी कभी नहीं छोड़ी।”
मोना ने आश्चर्य से श्रीमती पार्कर की ओर देखा। “आप रिया को जानते हैं?”
श्रीमती पार्कर ने सिर हिलाया। “कई साल पहले रिया यहां नियमित आगंतुक थी। जब उनकी मृत्यु हो गई, तो पुस्तकालय में अजीब चीजें होने लगीं। किताबें हिलती थीं, और कभी-कभी हमें फुसफुसाहटें सुनाई देती थीं। मैं हमेशा सोचती थी कि क्या वह अभी भी यहाँ है, और कुछ ढूंढ रही है।”
मोना ने नीली किताब उठायी। “हमें इस किताब को ख़त्म करने में उसकी मदद करने की ज़रूरत है,श्रीमती पार्कर। लेकिन ऐसा लगता है जैसे यह कभी ख़त्म नहीं होगी।”
श्रीमती पार्कर ने पुस्तक की ओर देखा। “यह जादुई किताब है। यह यादों की बह किताब है – जो कोई भी इसे पढ़ता है उसे इसके अंदर अपनी कहानी मिलती है। अब इस किताब में छिपी है रिया की कहानी, अगर वह खुद पढ़ती है, तो कहानी उसके जीवन की तरह चलती रहती है,पहले रीया ख़त्म होगी फिर कहानी ख़त्म होगी, तो फिर रिया इसे कैसे ख़त्म कर सकती है।”
“लकिन , हमें रिया की खातिर, कुछ समाधान तो ढूंढना होगा,श्रीमती पार्कर,”
“उसे आज़ाद करने का एकमात्र तरीका यह है कि कोई और उसके लिए इसे पढ़कर ख़त्म कर दे।”
मोना ने सिर हिलाया, उसे एहसास हुआ कि उसे क्या करना है। “मैं कहानी ख़त्म करूँगी , रीया। मैं इसे आपके लिए पढ़ूंगी।”
रीया की आँखें कृतज्ञता से भर गईं। “धन्यवाद, मोना।”
अगले कुछ दिनों तक मोना हर रात देर तक जागकर किताब को पढ़ती रही। कहानी रीया के जीवन के बारे में थी – किताबों के प्रति उसका प्यार, पुस्तकालय का दौरा, उसके सपने और उसका डर। मोना को ऐसा लगा जैसे वह रीया का जीवन जी रही हो, उसकी भावनाओं को महसूस कर रही हो और दुनिया को उसकी आँखों से देख रही हो।
आख़िरकार एक रात मोना कहानी के अंत तक पहुँची। जैसे ही उसने अंतिम शब्द पढ़े, उसने ऊपर देखा और पाया कि रीया उसे शांतिपूर्ण मुस्कान के साथ देख रही थी।
“धन्यवाद, मोना,” रीया ने फुसफुसाया,
“मैं अपना आखिरी घर देख सकती हूं, मुझे अब जाना होगा। मैं तुमसे मिलने के लिए एक बार वापस आऊंगी। जब तुम गहरे संकट में हो तो मुझे याद करना।”
मोना रोने लगी क्योंकि रीया का शरीर फीका पड़ने लगा था, लेकिन वह जानती थी कि उसे जाना ही होगा lधीरे-धीरे
रिया का शरीर फीका पड़ गया, वह गायब हो गई।
कमरा फिर गर्म महसूस होने लगा, और मोना के घर में इतने लंबे समय से भरी हुई अजीब सी ठंडक दूर होने लगी । उसने पुस्तक को अपने सीने से लगा लिया, उसे खुशी भी महसूस हुई और दुःख भी।