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कार मैकेनिक, माइक

एक बार की बात है, एक छोटे शहर में माइक नाम का एक चतुर कार मैकेनिक रहता था।  वह बहुत लालची था और अक्सर अपने ग्राहकों से अतिरिक्त शुल्क वसूल कर उन्हें धोखा देता था। यदि कोई छोटी-मोटी समस्या लेकर आता था, तो वह उनसे कहता था कि अधिक पैसे पाने के लिए उन्हें एक नए हिस्से या बड़ी मरम्मत की आवश्यकता है। शहर के लोग उसे जानते थे, लेकिन चूँकि वह आसपास मे  एकमात्र मैकेनिक था, इसलिए जब भी उनकी कारों में कोई समस्या होती थी, तो उनके पास उसकी दुकान पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता था।

एक दिन, राज नाम का एक वृद्ध व्यक्ति अपनी कार माइक के गैरेज में लाया। राज थका हुआ और थोड़ा चिंतित लग रहा था। उसके पास ज़्यादा पैसे नहीं थे, लेकिन उनकी कार उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण थी। उसे  अपनी बेटी शालू को हर हफ्ते अस्पताल ले जाने के लिए इसकी ज़रूरत होती थी। शालू लंबे समय से बीमार थी और वे शहर से  दूर रहते थे, इसलिए डॉक्टर के पास जाने के लिए वे  कार पर निर्भर रहते थे।

राज ने माइक से कहा, “मेरे पास ज्यादा पैसे नहीं हैं, लेकिन मेरी  कार को  मरम्मत की जरूरत है, कृपया इसे ठीक कर दें ताकि मैं अपनी  बेटी शालू को डॉक्टर के पास ले जा सकूं।” उसने आशा भरी नजरों से माइक की ओर देखा l 

लेकिन माइक ने उसके अनुरोध की परवाह नहीं की, उसे और अधिक कमाने का अवसर दिखाई दिया।

भले ही राज की कार के इंजन में थोड़ी सी समस्या थी, माइक ने उससे कहा, “आपकी कार पर  बहुत काम करने की ज़रूरत है। इसकी हालत ख़राब है, मुझे कुछ महंगे हिस्से बदलने होंगे, नहीं तो यह लंबे समय तक नहीं चलेगी ।

राज ने चिंतित होकर आह भरी, लेकिन वह सहमत हो गया क्योंकि उसके पास कोई विकल्प नहीं था। उसने माइक को अपने पास रखे सारे पैसे दे दिए। उसे उम्मीद थी कि उसकी कार शालू के लिए सुरक्षित रहेगी। 

माइक ने कुछ बुनियादी मरम्मत की, लेकिन उसने राज से भारी रकम वसूल की, जो वास्तव में लागत से कहीं अधिक थी।

अगले दिन, राज कार चलाकर अपने गाँव वापस चला गया। लेकिन जब वह शालू को अस्पताल ले जाने के लिए तैयार हुआ तो कुछ भयानक हुआ। रास्ते में कार खराब हो गई क्योंकि माइक ने उसे अच्छे  से ठीक नहीं किया था। राज को जल्दी मदद नहीं मिल सकी क्योंकि वे शहर से दूर थे। शालू की तबीयत खराब हो गई, वह बच नहीं सकी।

कुछ दिनों बाद तनाव और थकावट के कारण राज की भी मृत्यु हो गई। उसे लगता था  कि वह अपनी प्यारी बेटी की देखभाल करने में विफल रहा था।

 

एक रात, जब माइक अपनी दुकान बंद करके घर जाने की तैयारी कर रहा था, तो उसे एक अजीब आवाज़ सुनाई दी। उसने चारों ओर देखा, लेकिन उसे कुछ भी असामान्य नहीं दिखा। उसने ध्यान नहीं दिया कि उसके कार के  एक टायर की हवा धीरे-धीरे ख़त्म हो रही थी।

अगली सुबह, जब माइक ने काम के लिए निकलने की कोशिश की, तो उसने पाया कि उसकी कार का  एक टायर पूरी तरह से खाली  हो गया था। परेशान होकर वह मन ही मन बुदबुदाया, “यह कैसे हो गया? मेरे पास  इसके लिए समय भी नहीं है!” उसने जल्दी से टायर ठीक किया और काम पर जाने लगा l

अगली सुबह, माइक ने फिर अपनी कार का एक टायर खाली  देखा। उसे इस पर विश्वास नहीं हो रहा था. “क्या हो रहा है?” उसने गुस्से से कहा l उसे समझ नहीं आ रहा था कि कौन उसके साथ चालें चल  रहा था । टायर की मरम्मत के लिए उसे पैसे खर्च करने पड़ते थे l  उसकी चिड़चिड़ाहट बढ़ने लगी  l 

यह अजीब घटना हर रात घटती रही। वह हर शाम अपनी कार बहुत सावधानी से पार्क करता, लेकिन फिर भी उसे सुबह खाली टायर मिलता था। कभी-कभी दो या तीन टायर भी खाली होते थे। वह बहुत निराश था, वह सुबह जल्दी उठता , टायर बदलता , इससे उसका जीवन बहुत  कष्टमय हो गया था। 

दिन हफ़्तों में बदल गए और माइक की नींद उड़ने लगी। उसका चेहरा पीला पड़ गया, वह व्याकुल सा महसूस करने लगा, जब भी उसे कोई शोर सुनाई देता तो वह अपने कंधे की ओर देखने लगता। उसे समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है, और वह किसी को बताने से भी डरता था ,लोग उसे पागल समझ सकते थे।

उसने रोज़ काम करना बंद कर दिया, उसे कार चलाने से डर लगने लगा ।

एक शाम वह अपने  गैराज में बैठा था, वह बहुत उदास था और लगभग रो रहा था। उसे गाड़ी चलाकर घर जाने से डर लग रहा था। बाहर  अंधेरा था। वह लगातार बोल  रहा था, “मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है..मैंने क्या गलत किया है?” 

“क्योंकि आप लालची हैं…आप लोगों की भावनाओं से खेलते हैं…आपने उन्हें धोखा दिया…आपने उनकी मेहनत की कमाई हड़प ली।” एक क्रोधित आवाज गैरेज में गूंज उठी।

माइक कांपने लगा। उसने कहा, “तुम कौन हो?” उसकी आवाज कांप रही थी।

“इससे कोई फर्क नहीं पड़ता,मैं कौन हूं,आपको वही मिल रहा है जिसके आप हकदार हैं l” फिर आवाज गूंजी l

माइक जानता था कि उसका अंत निकट है, उसने अपने ग्राहकों को बहुत धोखा दिया था । उसने निराशा से कहा, “मैं अपनी गलतियों और लालच को समझता हूं, क्या आप मुझे माफ कर सकते हैं।”

“नहीं, मैं आपको माफ नहीं कर सकती ….आपको मिस्टर राज याद है….आपका ग्राहक…उसने आपको बताया था  उसकी बेटी बीमार है…उसे अपनी बीमार बेटी शालू को अस्पताल ले जाने के लिए कार की जरूरत है…आपने उसके साथ क्या किया…वह मर गया..वह मुझे अस्पताल नहीं ले जा सका…मैं भी मर गई …आपने हमारे सारे पैसे ले लिए…मैं शालू उसकी बेटी हूं…आपने कई ग्राहकों के साथ ऐसा ही किया …l”

“कृपया, मुझे माफ कर दो, मैंने गंभीर गलतियाँ की हैं, मैं दोबारा नहीं दोहराऊँगा, मैं कसम खाता हूँ।”

“नहीं, मैं तुम्हें माफ नहीं करूंगी । तुम्हें अपने किये पर पछताना पड़ेगा।” उसने  फिर अपना गुस्सा दिखाते कहा l 

“मुझे क्या करना होगा,” बह गिड़गिड़ाया l 

“अगर आप कुछ और साल जीना चाहते हैं…अपनी दुकान किसी अच्छे इंसान को बेच दें…अपना सारा पैसा गरीबों में बांट दें…फिर  बाकी जिंदगी भिखारी की तरह अपनी दुकान के बाहर पुराना बर्तन लेकर बैठे….यही तुम्हारा काम रहेगा….मरते दम तक…. याद रखना मैं तुम्हें देख रही  हूँ….मैं तुम्हें नहीं छोड़ूंगी… l” आवाज गुस्से से कांप रही थी l

माइक जानता था कि उसके पास जीवित रहने के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं था । उसने विनम्रतापूर्वक कहा, “मैं करूँगा।”

माइक ने कुछ ही दिनों में अपनी दुकान बेच दी और अपनी सारी कमाई उन लोगों में बाँट दी जिन्हें इसकी ज़रूरत थी।उस  ने अपना शेष जीवन भिखारी के रूप में बिताया। वह सिर्फ अपनी जरूरतों के लिए  पैसे रखता था , बाकी वह गरीबों या अन्य भिखारियों  में बांट देता था।

 

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