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सुखी और जादुई तस्वीर

सुखी एक 60 साल की बुजुर्ग महिला थी। वह एक छोटे से गाँव में रहती थी, जहाँ उसका एक छोटा सा घर था। उसकी जिंदगी अकेली और शांतिपूर्ण थी। पति और बच्चे कभी हुए ही नहीं थे, इसलिए वह अपने खेत और पशुओं के साथ समय बिताती थी। उसकी उम्र के साथ-साथ उसकी ताकत भी कम होती जा रही थी।

एक दिन, सुखी जंगल में कुछ लकड़ियाँ इकट्ठी करने  सुबह-सुबह अपनी टोकरी लेकर जंगल की ओर चल पड़ी। ठंडी हवा और पत्तों की सरसराहट के बीच चलना उसे बहुत अच्छा लग रहा था।

जंगल में चलते-चलते सुखी की नजर एक झाड़ी पर पड़ी। वहाँ कुछ चमक रहा था। उत्सुकतावश, वह झाड़ियों के पास गई। उसने देखा कि वहाँ एक कागज का टुकड़ा पड़ा था। यह कोई साधारण कागज नहीं था; उस पर एक लड़की की तस्वीर बनी हुई थी। वह तस्वीर बहुत सुंदर और जीवंत लग रही थी, लेकिन उसमें रंग नहीं भरे गए थे।

तस्वीर के नीचे लिखा था:
“जो इस तस्वीर को रंगेगा, वह अद्भुत जादू देखेगा।”

सुखी ने सोचा कि यह किसी बच्चे का खेल होगा। लेकिन फिर भी, उसे यह तस्वीर बहुत आकर्षक लगी। उसने तस्वीर को उठाया और अपनी टोकरी में रख लिया।

घर पहुंचकर, सुखी ने अपना सारा काम खत्म किया। फिर उसने सोचा कि क्यों न इस तस्वीर को रंगा जाए। उसने अपने पुराने रंगों का डिब्बा निकाला और तस्वीर को रंगने बैठ गई। जैसे-जैसे वह रंग भरती जा रही थी, उसे अजीब सी शांति और उत्साह महसूस हो रहा था।

जैसे ही उसने तस्वीर को पूरा रंग दिया, उसने राहत की सांस ली। लेकिन उस रात  कुछ अजीब हुआ।

सुखी सो रही थी, तभी उसे किसी की आवाज सुनाई दी। 

“सुखी अम्मा… सुखी अम्मा….l” सुखी आवाज सुनकर चौंक कर उठ बैठी। उसने इधर-उधर देखा, वहां कोई नहीं था। वह फिर से लेट गई l

 आवाज फिर आई l

 “सुखी अम्मा… सुखी अम्मा….l”

सुखी ने घबराते हुए पूछा, “तुम… तुम कौन हो? और मुझसे क्यों बात कर रही हो?”

“अम्मा मैं तस्वीर वाली लड़की हूं। आपने रंग भरे और मुझे जीवंत बना दिया, मैं अब बात कर सकती हूं”

सुखी ने तस्वीर की ओर देखा, तस्वीर में लड़की मुस्कुरा रही थी और उसकी आँखें सितारों की तरह चमक रही थीं।

“क्या? तुम जिंदा हो गई।” सुखी ने डरते हुए कहा। 

“हाँ अम्मा। डरो मत, मेरा नाम चित्रा है। मैं आपकी बेटी की तरह हूँ। मैं आपसे बात करना और आपकी मदद करना चाहती हूँ,”

“क्या तुम भूत हो, या कोई जादुई लड़की ?”

“हाँ अम्मा, मुझ पर विश्वास करो मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगी । मैं तुम्हारी मदद करना चाहती  हूँ, अगर तुम्हें ज़रूरत हो तो मैं असली लड़की भी बन सकती  हूँ।”

“तुम मेरी मदद कैसे करोगी, चित्रा ?”

चित्रा ने कहा, “तुम्हारे जीवन में जो कठिनाई है, मैं उसे दूर कर सकती हूँ। मैं तुम्हें जंगल के एक खजाने के बारे में बताऊंगी। उस खजाने से तुम्हारी सारी समस्याएँ हल हो जाएंगी।”

सुखी को अभी भी भरोसा नहीं था लेकिन उसने उसकी बात मानने का फैसला किया।

“अगर आप चाहें तो अम्मा, मैं आपके पैरों या सिर की मालिश कर सकती  हूं,” 

“नहीं, चित्रा, मैं ठीक हूं। मैं अब शांति से सोना चाहती  हूं, हम सुबह बात करेंगे।”

अगली सुबह, चित्रा ने सुखी को जंगल के एक खास हिस्से में जाने का रास्ता बताया। वह जगह बहुत घनी और डरावनी थी, जहाँ पहले कभी सुखी नहीं गई थी। लेकिन चित्रा की मदद से वह वहाँ तक पहुँच गई।

वहाँ जमीन के नीचे एक पुरानी धातु की पेटी दबी हुई थी। सुखी ने जैसे ही उसे खोला, उसकी आँखें चमक उठीं। पेटी में सोने के सिक्के और गहने भरे हुए थे।

चित्रा ने कहा, “यह खजाना अब तुम्हारा है। तुम इसे बेचकर अपनी जिंदगी बेहतर बना सकती हो।”

सुखी  खुशी-खुशी खजाना अपने घर ले आई। अब उसे यकीन होने लगा  कि चित्रा वास्तव में उसकी मदद करना चाहती है l 

शाम को सुखी को थकान महसूस हो रही थी और वह बिस्तर पर बैठी थी, “हे भगवान, मुझे बहुत भूख लग रही है, मेरे लिए खाना कौन बनाएगा,” वह फुसफ़साई l 

तभी चित्रा बोली , “अम्मा मैं आपके लिए खाना बना सकती हूँ,”

“चित्रा मुझे क्या करने की जरूरत है, ताकि तुम असली लड़की बन सको।”

“ अम्मा, पहले तुम्हें मुझे एक इजाजत देनी होगी। मैं जब चाहूं असली लड़की बन सकती  हूं।”

 “मुझे कोई दिक्कत नहीं है बेटी, तुम बन सकती हो।”

“धन्यवाद अम्मा, आप अपनी आंखें बंद करें और पांच बार अपनी इच्छा कहें” चित्रा ने मुस्कुराते हुए कहा, उसे पता था कि वह हमेशा के लिए आज़ाद होने वाली है l

जैसे ही सुखी ने पाँच बार कहा, और अपनी आँखें खोलीं, उसने देखा एक सुंदर युवा लड़की, सुंदर पोशाक में उसके सामने खड़ी थी। उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। 

“चित्रा..तुम..बहुत सुंदर हो।”

चित्रा हँसी, हमेशा नहीं अम्मा, बारह बजे के बाद, सूरज उगने तक। मैं गंदा भूत बन जाती हूँ, लेकिन डरना  मत, मैं तुम्हें नुकसान नहीं पहुँचाऊँगी।”

“चित्रा क्या मैं तुम्हारे जीवन के बारे में जान सकती  हूं, तुम वास्तव में कौन हो, तुम मेरी मदद क्यों कर रही हो?”

“ एम्मा, मैं अपनी दादी का अधूरा सपना हूं , उनमें कुछ विशेष शक्ति थी, वह मेरे जैसी लड़की चाहती थीं।

एक दिन उसने एक खूबसूरत युवा लड़की का चित्र बनाया, वह उसे रंगों से जीवंत करना चाहती थी, लेकिन रंग भरने से पहले ही वह मर गई। मैं उसकी अजीब पेंटिंग हूं। मैं कभी पैदा नहीं हुई ,ना ही  कभी  मरूंगी। आपने मुझे जीवित किया ,आप मेरी दादी की तरह हैं, शायद मेरी दादी ने आपको मेरे लिए चुना है,”

सुखी की आँखों में पानी भर आया, “तुम मेरी पोती हो, तुम भूत हो या जादुई लड़की या कुछ भी, तुम मेरे साथ रह सकती हो”

 सुखी की जिंदगी पूरी तरह बदल चुकी थी। खजाने ने उसकी गरीबी दूर कर दी थी, और चित्रा उसकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहती थी। सुखी और चित्रा की यह अजीब दोस्ती जीवनभर चलती रही। सुखी ने कभी किसी को इस रहस्य के बारे में नहीं बताया।

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