बस में भूत मैडम
मीना एक युवा छात्रा थी जो एक छोटे शहर में रहती थी। वह सातवीं कक्षा में थी और उसे स्कूल जाना बहुत पसंद था। हर सुबह, वह जल्दी उठती थी, अपना स्कूल बैग पैक करती थी और स्कूल के लिए बस पकड़ती थी। बस का सफ़र लंबा था, लेकिन मीना को कोई फ़र्क नहीं पड़ता था । उसे खिड़की के बाहर हरे-भरे खेत और ऊँचे-ऊँचे पेड़ देखना अच्छा लगता था।
एक सुबह जब मीना बस में आई तो बस लगभग भरी हुई थी। वह बैठने के लिए जगह ढूंढती इधर-उधर देख रही थी। तभी उसने पीछे की सीट पर एक बूढ़ी औरत को बैठे देखा। वह उसकी ओर देखकर मुस्कुरा रही थी जैसे वह उसे अपने पास बैठने के लिए आमंत्रित कर रही हो। मीना उसकी ओर चल दी। महिला ने सफेद साड़ी पहनी थी और उसके बाल जूड़े में बंधे हुए थे। वह दयालु और शांतिपूर्ण लग रही थी। वह उसके पास जाकर बैठ गई l
“सुप्रभात,” मीना के बैठते ही उस महिला ने गर्मजोशी से कहा।
“सुप्रभात,” मीना ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। “क्या तुम पाठशाला जा रहे हो?” उसने पूछा l
“हाँ,” मीना ने उत्तर दिया। “मैं सातवीं कक्षा में हूँ। मेरा नाम मीना है l”
उसे जल्द ही पता चला कि उस का नाम श्रीमती शर्मा था। वह एक सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षिका थीं, बह भी कभी मीना के स्कूल में पढ़ाया करती थी। मीना ने सोचा कि शायद उसने उसे स्कूल जाते देखा होगा, इसीलिए वह उससे बात करने में दिलचस्पी रखती थी।
“मैंने आपके स्कूल में 40 वर्षों से अधिक समय तक पढ़ाया है,यह मेरे जीवन का सबसे अच्छा समय था।” श्रीमती शर्मा ने मुस्कुराते हुए कहा।
“वाह!!… कई साल, मेरी उम्र से भी ज़्यादा।”
“आप स्कूल में क्या पढ़ाते थे , मैडम ?” मीना ने उत्सुकता से पूछा l
“मैं इतिहास पढ़ाती थी,यह मेरा पसंदीदा विषय था, मैंने अतीत की बहुत सारी कहानियाँ और पाठ पढ़ाए या पढ़े।”
तभी कंडक्टर आया और उसने सभी के टिकट चेक किए, लेकिन उसने मिसेज शर्मा को चेक नहीं किया। मीना को अजीब लगा, इससे पहले कि वह कुछ कहती, मिसेज शर्मा ने कहा, “वह मुझे जानता है।”
मीना जानती थी कि वह भी उसकी दूसरी शिक्षिका की तरह है, इसलिए उसने कुछ नहीं पूछा, “मैडम मेरा भी इतिहास पसंदीदा विषय है।”
वे इतिहास और प्राचीन कहानियों के बारे में बात करने लगे। समय बहुत तेजी से बीत गया, बस स्कूल के पास रुकी। मीना बस से बाहर आ गई लेकिन श्रीमती शर्मा नहीं निकलीं, मीना को समझ नहीं आया, बस कहीं नहीं जा रही थी, यह उसका आखिरी स्टेशन था, उसे याद था , मैडम ने कहा था कि वह स्कूल के पास जा रही है। वह ज्यादा देर इंतजार नहीं कर सकती थी, मीना स्कूल चली गई।
ऐसा रोज होता था, वे साथ बैठते थे, बातें करते थे और फिर मीना अकेली ही बस से निकल जाती थी,लेकिन उसने पाया कि मैडम बहुत दयालु और मददगार थीं, उन्होंने उसे कई ऐतिहासिक घटनाओं को समझने में मदद की,उसके मन में कई सवाल थे लेकिन उसने मैडम से कुछ भी व्यक्तिगत नहीं पूछने का फैसला किया।
दिन बीतते गए, एक शाम मीना अपनी माँ से स्कूल के बारे में बात कर रही थी। उसकी माँ भी उसी स्कूल में पढ़ती थी, फिर मीना ने मैडम के बारे में बताया जिनसे वह रोज़ बस में मिलती थी।
“माँ तुम्हें याद है, अध्यापिका श्रीमती शर्मा।”
“वह कौन है?… कहां पढ़ाती है?”
“वह बहुत समय पहले स्कूल में इतिहास की शिक्षिका थी, मुझे यकीन है कि वह आपको भी पढ़ाती होगी, माँ।”
“श्रीमती शर्मा…इतिहास की शिक्षिका….l”मीना की माँ सोचने लगीं।
“माँ, लंबी पतली सी ,हमेशा सफेद साड़ी पहने , बालों का सुन्दर जूड़ा, कुछ इस तरह की ,”
“हाँ, मुझे एक इतिहास की शिक्षिका श्रीमती शर्मा याद आईं, लेकिन स्कूल आते समय दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी।” माँ ने गंभीरता से कहा l
“माँ ,वह नहीं, मैं तो बस में हर रोज़ मिसेज शर्मा से बात करती हु”। मीना हँसी l
“फिर मुझे याद नहीं,शायद वह मेरे बाद आई हो l”
मीना ने अपना प्रोजेक्ट पूरा करना शुरू कर दिया। पहले तो उसने इस बारे में ज्यादा नहीं सोचा कि उसकी माँ ने क्या कहा था , लेकिन धीरे-धीरे उसे श्रीमती शर्मा के बारे में अजीब बातें याद आने लगीं। उसने देखा था कि कंडक्टर कभी उसका टिकट चेक नहीं करता था और वे कभी बात भी नहीं करते थे। लेकिन मैडम ने कहा कि वह उसे जानती है, शायद वह भूत थी और केवल बह ही उसे देख सकती थी , बाकी लोग नहीं। वह हमेशा एक ही सफेद साड़ी पहनती थी ।
मीना मन ही मन सोचने लगी कि क्या वह हर रोज भूत के साथ बैठती थी ।उसने मैडम के बारे में सच्चाई जानने का फैसला किया।
अगले दिन जब वह मैडम के साथ बैठी और वे बातें कर रहे थे तो उसने पूछा। “मैडम आप रोज स्कूल के पास कहाँ जाती हैं?”
“कहीं नहीं। मैं बस हर सुबह बस में यात्रा करती हूं।”
“आप जल्दी उठते हैं, बस में यात्रा करते हैं, सर्दियों में भी, जब हर कोई घर पर सोना पसंद करता है,आप तो बाद में भी यात्रा कर सकते हैं।” मीना ने मुस्कुराते हुए पूछा l
“मीना, मुझे छात्रों से बात करना और उनकी मदद करना पसंद है। सुबह मैं आप जैसे अच्छे मेहनती छात्र से मिल सकती हूँ।”
मीना थोड़ा भ्रमित थी। उसे यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं मिला कि वह भूत थी। लेकिन फिर भी वह निश्चित नहीं थी।
एक दिन जब वह बस से बाहर आई, तो उसने स्कूल के पास कुछ मिनट इंतजार किया, जब ड्राइवर और कंडक्टर ने बस का दरवाजा बंद कर दिया, और पास के स्टाल पर चाय के लिए जा रहे थे। वह उनकी ओर दौड़ी।
“सर, मेरी मैडम बस में बैठी हैं, मैं अपनी किताबें उसके पास भूल गई , क्या आप कृपया बस का दरवाज़ा खोल सकते हैं?”
कंडक्टर ने आश्चर्यचकित होकर उसकी और देखा , “बस खाली है, हमने ध्यान से जाँच की, अंदर कोई नहीं है।”
मीना ने मैडम को बस से बाहर आते नहीं देखा, वह गायब हो गई थी । उसका दिल तेजी से धड़कने लगा, उसे लगभग यकीन हो गया कि मैडम भूत ही है l
भ्रमित और डरी हुई मीना ने अगले दिन बस में श्रीमती शर्मा से पूछने का फैसला किया। जब वह बस में चढ़ी तो उसका दिल जोरों से धड़क रहा था। वह श्रीमती शर्मा के बगल में अपनी सामान्य सीट पर बैठ गई ,मैडम ने गर्मजोशी भरी मुस्कान के साथ उसका स्वागत किया।
“गुड मॉर्निंग, मीना। आज आप कैसे हैं?”
मीना ने गहरी साँस ली. “श्रीमती। शर्मा, मुझे कल कुछ पता चला… कि आपका कई वर्ष पहले निधन हो गया था । यह कैसे संभव है कि मैं आपसे बात कर रही हूं?”
श्रीमती शर्मा की मुस्कान फीकी पड़ गई और उनकी आँखें उदास हो गईं। “मुझे डर था कि यह दिन आएगा,” उसने धीरे से कहा। “हाँ, मीना, मैं अन्य यात्रियों की तरह नहीं हूँ। मैं एक आत्मा हूं।”
“लेकिन आप अभी भी यहाँ क्यों हैं, मिसेज शर्मा?” मीना ने डरते हुए धीरे से पूछा l
श्रीमती शर्मा ने आह भरी। “मुझे लगता है कि मैं अपने जीवन का काम नहीं छोड़ सकती । मैं ज्ञान साझा करना और छात्रों की मदद करना जारी रखना चाहती थी ।”
मीना ने सिर हिलाया, श्रीमती शर्मा के प्रति उसका सम्मान और भी बढ़ गया। “मुझे खुशी है कि मैं आपको जान पाई , मिसेज शर्मा। आपने मुझे बहुत कुछ सिखाया है और मैं हमारी बातचीत कभी नहीं भूलूंगी ।”
श्रीमती शर्मा की आँखें कृतज्ञता से चमक उठीं। “धन्यवाद, मीना। आप एक अद्भुत छात्र और प्रिय मित्र हैं।”
उस दिन के बाद, मीना ने श्रीमती शर्मा को नहीं देखा, उसे यकीन नहीं था, वह हमेशा के लिए गायब हो गई या किसी अन्य छात्र की मदद करने लगी थी l
धीरे-धीरे मीना का जीवन सामान्य हो गया, लेकिन वह अक्सर श्रीमती शर्मा के बारे में सोचती थी l