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कैफे मालिक की भूतनी बेटी

पुराने माउंट शहर की एक शांत, पथरीली सड़क पर “रॉबर्ट कैफे” नाम का एक अनोखा कैफे था। यह पुरानी सजावट, मंद प्रकाश और ताज़ी कॉफी के साथ एक आकर्षक जगह थी। यह कैफे दशकों से समुदाय में था और स्थानीय लोग इसे बहुत पसंद करते थे।

कई नियमित ग्राहकों में सूरज बाबू नाम का एक बूढ़ा व्यक्ति भी था।  वह काफी समय से कैफ़े में आ रहा था। एक ठंडी शरद ऋतु की शाम, जब पत्ते बाहर नाच रहे थे, बाबू अपनी सामान्य कोने वाली सीट पर बैठे, गर्म एस्प्रेसो पी रहा  था  और एक पुरानी किताब पढ़ रहा  था ।

उनकी पसंदीदा लड़की अन्नी काम कर रही  थी, वे एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह से जानते थे। जब भी उसे समय मिलता तो वह बाबू से बात करने आती थी ।

अचानक बाबू को तेज अजीब इत्र की खुशबू आई। उसने इधर-उधर देखा। उसकी  बगल वाली मेज पर एक खूबसूरत युवा लड़की  आ बैठी थी, बाबू ने उसके चलने की कोई आवाज नहीं सुनी, उसने ऊँची एड़ी की सैंडल भी पहनी हुई थी। वह सोलह – सत्रह साल से अधिक उम्र की नहीं लग रही थी, गोरी त्वचा, लंबे लहराते बाल थे और पुराने जमाने की सफेद पोशाक पहने हुए थी। वह बहुत शांत लग रही थी और खिड़की से बाहर देख रही थी। ऐसा प्रतीत होता है कि वह गहरी सोच में डूबी हुई थी और वह किसी का इंतजार कर रही थी l बाबू को उसके प्रति एक अजीब खिंचाव महसूस हुआ और उसने बात करने  का फैसला किया।

“हैलो बेटी ,” उसने धीरे से कहा। लड़की उसकी ओर मुड़ी और मुस्कुरायी, 

“हैलो, सर,” उसने धीरे से उत्तर दिया।

“मैंने तुम्हें पहले कभी यहाँ नहीं देखा बेटी। क्या आप पड़ोस में नये हैं?” बाबू ने पूछा l 

लड़की ने सिर हिलाया. “नहीं, मैं यहाँ बहुत लंबे समय से हूँ। मेरा नाम मेली है ,लेकिन बहुत से लोग मुझे नहीं

जानते ।”बाबू ने अपना परिचय दिया और उसके सामने बैठ गया। उन्होंने घंटों तक बात की, और मेली ने कैफे के इतिहास की कहानियाँ साझा कीं, जिनके बारे में बाबू को भी नहीं पता था l जैसे ही घड़ी में आधी रात हुई, मेली  उठ खड़ी हुई। “मुझे अब जाना चाहिए। आपसे बात करके बहुत अच्छा लगा।” इससे पहले कि वह जवाब दे पाता, वह हवा में गायब हो गई, और बाबू अविश्वास से खाली सीट को देखता रह गया।

बाबू को समझ नहीं आया कि यह कैसे हुआ। वह हवा में गायब हो गई। “वह असली थी या किसी तरह का जादू”।

वह फुसफुसाया। उसने चारों ओर देखा, लोग बातें कर रहे थे और कैफे का आनंद ले रहे थे, सब कुछ सामान्य था। अन्नी अभी भी काम कर रही थी।वह पूरी तरह से भ्रमित था। उसने पड़ोसी की मेज पर बैठे आदमी से पूछा। 

“क्या तुमने इस कुर्सी पर एक खूबसूरत लड़की को बैठे देखा?”, आदमी ने कुर्सी की ओर देखा और कहा, “सर, यह कुर्सी शाम से खाली है”।

“ ठीक है”, बाबू घर वापस आ गया। वह लड़की उसकी आँखों में घूम रही थी और उसे बेचैन कर रही थी।

अगली सुबह, बाबू वापस कैफे आया और उसने अन्नी  से पूछा, “क्या तुम  युवा लड़की मेली के बारे में कुछ जानती है”। अन्नी की आँखें चौड़ी हो गईं ,  “तुमने उसे देखा? लोग कहते हैं कि वह एक भूत है जो कैफे में घूमती है। उनका कहना है कि वह कैफे  के पहले मालिक की बेटी है  ”

“क्या, भूत” बाबू को विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने कल शाम भूत लड़की के साथ कई घंटों तक बात की थी। लेकिन उसने उसे चोट नहीं पहुंचाई, वह बहुत अच्छी, मासूम लड़की लग रही थी। उसने उसे डराने की भी कोशिश नहीं की।

अन्नी को कैफे के पुराने मालिकों के बारे में कुछ नहीं पता था l

बाबू ने पुराने मालिक और लड़की मेली के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का फैसला किया। उन्होंने पाया कि मेली वास्तव में कैफे के पहले मालिक की बेटी थी। दुखद बात यह थी  कि कई साल पहले आग लगने से उसकी युवावस्था में ही मृत्यु हो गई थी, कैफे की इमारत लगभग नष्ट हो गई थी । कैफ़े का पुनर्निर्माण किया गया, लेकिन मेली की आत्मा वहीं घूमती थी ।

बाबू मेली से दोबारा मिलने के लिए उत्सुक था, उसके मन में कई सवाल थे। वह हर शाम कैफे जाता था और उसका इंतजार करता था। कई हफ्ते बीत गए, उससे मिलने की उसकी इच्छा  धुंधली  होती जा रही थी l

लेकिन एक अंधेरी शाम को वह कैफे में अपनी सीट पर बैठा था, उसे फिर से तेज इत्र की सुगंध आई। उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी। वह जानता था कि मेली फिर से आ रही थी।

मेली  फिर प्रकट हो गई,वह बहुत उदास लग रही थी,” सर, अब आप मेरे बारे में जानते हैं, क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?” उसने विनम्रता से कहा। 

“मेली,” बाबू ने कहना शुरू किया, “मुझे आग और तुम्हारे दुखद अंत के बारे में पता चल गया है। मैं आपके लिए क्या कर सकता हूं ?”

मेलि की आँखों में आँसू थे । “कैफै तहखाने में एक मैटल बॉक्स छिपा हुआ है। यह कोड 0404 से लॉक है l वह मेरी जन्मतिथि है, इसमें वे पत्र और स्मृति चिह्न हैं जो मुझे बहुत प्रिय हैं। आग लगने के बाद उनका कभी पता नहीं चला l यदि आप इसे ढूंढ सकें और मेरे परिवार को दे सकें, तो मुझे विश्वास है कि मुझे आराम मिल सकता है।”

“मैं बाक्स ढूंढने और आपके माता-पिता को देने की कोशिश करूंगा, मुझे यकीन है कि वे आपकी आखिरी यादों को पूरा सम्मान देंगे।” उन्होंने फिर कुछ देर बात की, मेली ने उससे वादा किया कि वह उससे मिलने दोबारा आएगी।

अगले दिन,अन्नी  की मदद से, बाबू को कैफे का तहखाना मिल गया। कई घंटों तक पुराने बक्सों और धूल भरी अलमारियों को खंगालने के बाद, उन्हें एक बंद धातु का बक्सा मिला। अंदर पत्र, तस्वीरें और मेली के शुरुआती अक्षरों वाला एक छोटा लॉकेट था।

फिर बाबू ने मेली के वंशजों का पता लगाया और उन्हें बक्सा लौटा दिया। मेली की स्मृति का सम्मान करने की कसम खाते हुए, वे प्रभावित हुए और आभारी हुए।

उस शाम, बाबू कैफ़े में लौटा । वह और अन्नी बेसब्री से उसका इंतजार कर रहे थे। देर रात मेली आई। वह अब उदास नहीं थी। उसने अन्नी और बाबू को धन्यवाद दिया, उसने उन्हें बताया कि उसकी आत्मा अब पूरी तरह से शांति में थी । उसे कैफे में भटकने  की कोई जरूरत नहीं थी । यह  कहते हुए वह कैफे से गायब होने लगी।

उस दिन के बाद किसी ने भी मेली के बारे में बात नहीं की l  कभी-कभी बाबू को अब भी लगता था  कि वह उसके पास बैठी है, लेकिन वह जानता था । वह हमेशा के लिए चली गई थी, अपने आखिरी स्थान पर।

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