मूर्ति और एक भूत कलाकार
रवि एक छोटे से गाँव में पला-बढ़ा था, लेकिन उसकी नौकरी ने उसे शहर में बसने के लिए मजबूर कर दिया। शहर में नौकरी की शुरुआत करने के बाद, उसने एक शांत और सस्ता किराए का घर ढूंढा। यह घर शहर के बाहरी इलाके में था, चारों ओर पेड़ों और सन्नाटे से घिरा हुआ। घर पुराना था, लेकिन उसकी स्थिति ठीक थी।
रवि ने घर का किराया देकर उसमें रहना शुरू कर दिया। पहले दिन वह बहुत खुश था। उसने अपना सामान व्यवस्थित किया और सोचा कि अब उसका जीवन सही दिशा में जाएगा। लेकिन उसे यह नहीं पता था कि वह घर एक डरावने रहस्य को छिपाए हुए था।
पहली रात, जब रवि सोने के लिए बिस्तर पर लेटा, तो उसे दूर से किसी के बोलने की आवाज़ें सुनाई दीं। आवाज़ें धीमी और अस्पष्ट थीं, जैसे कोई दीवार के पीछे से बात कर रहा हो। उसने ध्यान नहीं दिया और सोचा कि शायद ये पड़ोसियों की आवाज़ें होंगी।
दूसरी रात, जब वह ऑफिस से लौटकर घर आया, तो उसने देखा कि उसका सामान अपनी जगह पर नहीं था। मेज पर रखी किताबें अलमारी में थीं और चाय का कप जो उसने रसोई में छोड़ा था, अब खिड़की पर रखा हुआ था।
“ये सब कैसे हुआ?” रवि ने खुद से सवाल किया।
लेकिन अगली रात, जब उसने अपने मोबाइल चार्ज पर लगाया और सुबह देखा, तो मोबाइल चार्जर खिड़की पर लटका हुआ था। अब रवि को यकीन हो गया कि कुछ गड़बड़ है। उसने मन में तय किया कि वह इस घर के रहस्य को समझेगा और उससे भागेगा नहीं।यह कुछ रातों तक चलता रहता है l
फिर एक रात, रवि ने एक अनोखी घटना का सामना किया। आधी रात के करीब, जब वह गहरी नींद में था, तो उसे अचानक ठंडक महसूस हुई। उसने आंखें खोलीं और देखा कि उसके कमरे में एक प्रकाश से भरा हुआ शरीर खड़ा था। वह डर गया, लेकिन उसने अपनी हिम्मत बांधी और पूछा, “तुम कौन हो? और तुम यहाँ क्या कर रहे हो?”
उस रोशनी से भरे शरीर ने धीरे से जवाब दिया, “मैं बानू हूँ। बहुत समय पहले, इस जगह पर एक घना जंगल हुआ करता था। मेरी कुटिया इस जगह के पास थी। मैं अपने पिता के लिए एक मूर्ति बना रहा था, लेकिन एक रात एक शेर ने मुझ पर हमला कर दिया, और मेरी मृत्यु उसी पेड़ के नीचे हो गई, जहाँ अब यह घर बना है।”
रवि को अब सब समझ में आ गया था। उसने साहसपूर्वक पूछा, “तो अब तुम मुझसे क्या चाहते हो?”
बानू ने जवाब दिया, “मैं चाहता हूँ कि तुम मेरी अधूरी मूर्ति को पूरा करने में मेरी मदद करो। मेरे औजार और अधूरी मूर्ति तुम्हारे घर के पिछवाड़े में दफन हैं। यदि तुम मेरी मदद करोगे, तो मैं और मेरे पिता शांति पा सकेंगे। बदले में, मैं तुम्हें इनाम दूँगा।”
रवि ने कहा, “तुम्हें भी मेरे ऑफिस के काम में मेरी मदद करनी होगी”
“मुझे पता है कि तुम्हारा बॉस तुम्हारे प्रति अच्छा नहीं है। ठीक है….मैं तुम्हारी समस्या का समाधान कर दूंगा।”
रवि ने बानू की बात सुनी और उसकी मदद करने का वादा किया। अगले दिन, रवि ने फावड़ा खरीदा और अपने घर के पिछवाड़े में खुदाई शुरू की। कुछ घंटों के बाद, उसे मिट्टी में कुछ लोहे के औजार और एक अधूरी मूर्ति मिली।
बानू की आत्मा फिर से प्रकट हुई और उसने कहा, “धन्यवाद, रवि। अब मुझे बस इस मूर्ति को पूरा करना है।”
रवि ने बानू को आश्वासन दिया कि वह इसमें पूरी मदद करेगा। उसने नये औजार खरीदे और मूर्ति बनाने का काम शुरू किया। बानू की आत्मा उसे मूर्ति के हर हिस्से को बनाने के निर्देश देती रही। रवि ने दिन-रात मेहनत की, और आखिरकार कुछ दिनों में मूर्ति पूरी हो गई।
जब मूर्ति पूरी हुई, तो बानू की आत्मा अपने पिता की आत्मा के साथ प्रकट हुई। दोनों आत्माओं ने रवि का धन्यवाद किया। बानू ने कहा, “तुमने मेरे और मेरे पिता के लिए जो किया, उसके लिए मैं तुम्हारा सदा आभारी रहूँगा। जैसा मैंने वादा किया था, तुम्हारे लिए एक इनाम है।”
इसके बाद, बानू ने रवि को घर के पिछवाड़े में एक और जगह खुदाई करने को कहा। जब रवि ने वहां खुदाई की, तो उसे एक सोने से भरा हुआ घड़ा मिला।वह उनकी बचत थी l
बानू ने कहा, “यह तुम्हारे लिए है। अब हम शांति से जा रहे हैं। धन्यवाद, रवि।”
बानू और उसके पिता की आत्माएं गायब हो गईं।
अगले दिन जब रवि अपने कार्यालय गया, तो उसने बानू को इमारत में खड़ा देखा। वह मुस्कुराया और गायब हो गया। जब रवि ने काम शुरू किया, तो उसका बॉस उसके कमरे में आया और बोला, “मुझे क्षमा करें, मैंने आपकी मेहनत और ज्ञान को नहीं पहचाना, लेकिन अब मैंने तय कर लिया है कि आप अगले प्रबंधक होंगे क्योंकि मेरा स्थानांतरण हो गया है।”
रवि को विश्वास नहीं हुआ कि उसने क्या कहा, यह उससे कहीं अधिक था जो उसने कभी सोचा था। उसने अपने बॉस को धन्यवाद दिया और और अधिक कड़ी मेहनत करने का वादा किया।
रवि ने सोने के घड़े से अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर किया। उसने उस घर में रहना जारी रखा, लेकिन अब वहां कोई डर नहीं था।